मिलनसार हैं रूपाणी:
लगभग 60 साल के हो चुके रूपाणी अब भी रोजाना सुबह लंबी दूरी तक वॉक करते हैं। इसके बाद वे दो घंटे कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। उनकी समस्याओं सुनते हैं। इसके बाद वे अपने ऑफिस पहुंचते हैं। राजकोट हो या गांधीनगर, वे अपने परिचितों और कार्यकर्ताओं से मिलना नहीं भूलते।
बेटी-दामाद लंदन में सीए:
रूपाणी का एक बेटा और एक बेटी है। इसके अलावा एक बेटे का साढ़े तीन साल की उम्र में निधन हो चुका है। बेटी राधिका शादी के बाद से लंदन में है। वहां उनके पति भी चार्टर्ड एकाउंटेंट है। बेटा रुपम निरमा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है।
एक बेटे की तीसरी मंजिल से गिरने से मौत हो गई थी:
उनका बेटा पुजीत जब साढ़े तीन साल का था, तब अमदावाद में अपने नाना के घर की तीसरी मंजिल से गिरने से उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद रूपाणी ने उसके नाम से ‘पुजीत रूपाणी ट्रस्ट’ की स्थापना की, जिसमें गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं, यहां कचरा बीनने वाली लड़कियों को कंप्यूटर की शिक्षा देने का काम किया जाता है।
Source...Bhaskar. Com
लगभग 60 साल के हो चुके रूपाणी अब भी रोजाना सुबह लंबी दूरी तक वॉक करते हैं। इसके बाद वे दो घंटे कार्यकर्ताओं से मिलते हैं। उनकी समस्याओं सुनते हैं। इसके बाद वे अपने ऑफिस पहुंचते हैं। राजकोट हो या गांधीनगर, वे अपने परिचितों और कार्यकर्ताओं से मिलना नहीं भूलते।
बेटी-दामाद लंदन में सीए:
रूपाणी का एक बेटा और एक बेटी है। इसके अलावा एक बेटे का साढ़े तीन साल की उम्र में निधन हो चुका है। बेटी राधिका शादी के बाद से लंदन में है। वहां उनके पति भी चार्टर्ड एकाउंटेंट है। बेटा रुपम निरमा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है।
एक बेटे की तीसरी मंजिल से गिरने से मौत हो गई थी:
उनका बेटा पुजीत जब साढ़े तीन साल का था, तब अमदावाद में अपने नाना के घर की तीसरी मंजिल से गिरने से उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद रूपाणी ने उसके नाम से ‘पुजीत रूपाणी ट्रस्ट’ की स्थापना की, जिसमें गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं, यहां कचरा बीनने वाली लड़कियों को कंप्यूटर की शिक्षा देने का काम किया जाता है।
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