Saturday, August 6, 2016

318 किलो वजन उठा कर दौड़ने वाला दुनिया का एक मात्र पराक्रमी घोडा था चेतक

318 किलो वजन उठा कर दौड़ने वाला दुनिया का एक मात्र पराक्रमी घोडा था चेतक -----

318 किलो वजन उठाकर सबसे तेज दौड़ने वाला और सबसे ऊँची छलांग लगाने वाला घोडा था महाराणा प्रताप का चेतक. एक अरबी व्यापारी तीन घोड़े लेकर महाराणा प्रताप के समक्ष प्रस्तुत हुआ जिनके नाम चेतक, त्राटक और अटक थे. राणा ने उन तीनों घोड़ो का परिक्षण किया जिसमे अटक मारा गया त्राटक और चेतक बचे जिसमे चेतक ज्यादा बुद्धिमान और फुर्तीला था. प्रताप ने चेतक को रखा और त्राटक को अपने छोटे भाई शक्तिसिंह को दे दिया.

चेतक से जुड़ा एक प्रसंग -

हल्दीघाटी के युद्ध में बिना किसी सैनिक के राणा अपने पराक्रमी चेतक पर सवार हो कर पहाड़ की ओर चल पडे‌. उनके पीछे दो मुग़ल सैनिक लगे हुए थे, परन्तु चेतक ने अपना पराक्रम दिखाते हुए रास्ते में एक पहाड़ी बहते हुए नाले को लाँघ कर प्रताप को बचाया जिसे मुग़ल सैनिक पार नहीं कर सके. चेतक द्वारा लगायी गयी यह छलांग इतिहास में अमर हो गयी इस छलांग को विश्व इतिहास में नायब माना जाता है.

चेतक ने नाला तो लाँघ लिया, पर अब उसकी गति धीरे-धीरे कम होती जा रही थी पीछे से मुग़लों के घोड़ों की टापें भी सुनाई पड़ रही थी उसी समय प्रताप को अपनी मातृभाषा में आवाज़ सुनाई पड़ी, ‘नीला घोड़ा रा असवार’ प्रताप ने पीछे पलटकर देखा तो उन्हें एक ही अश्वारोही दिखाई पड़ा और वह था, उनका सगा भाई शक्तिसिंह. प्रताप के साथ व्यक्तिगत मतभेद ने उसे देशद्रोही बनाकर अकबर का सेवक बना दिया था और युद्धस्थल पर वह मुग़ल पक्ष की तरफ़ से लड़ता था. जब उसने नीले घोड़े को बिना किसी सेवक के पहाड़ की तरफ़ जाते हुए देखा तो वह भी चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा, परन्तु केवल दोनों मुग़लों को यमलोक पहुँचाने के लिए. जीवन में पहली बार दोनों भाई प्रेम के साथ गले मिले थे.

इस बीच चेतक इमली के एक पेड़ तले गिर पड़ा, यहीं से शक्तिसिंह ने प्रताप को अपने घोड़े पर भेजा और वे खुद चेतक के पास रुके. चेतक लंगड़ा (खोड़ा) हो गया, इसीलिए पेड़ का नाम भी खोड़ी इमली हो गया. कहते हैं, इमली के पेड़ का यह ठूंठ आज भी हल्दीघाटी में उपस्थित है.

चेतक का पराक्रम -

महाराणा प्रताप के इतिहास के अनुसार, माना जाता है कि महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था. उनके कवच, भाला, ढाल और दो तलवारों का वजन मिलाकर कुल वजन 208 किलो था. महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी.

चेतक के पराक्रम का पता इस बात से चलता था कि हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ तो चेतक ने अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के सिर पर पांव रख दिए और प्रताप ने भाले से मानसिंह पर सीधा वार किया. चेतक के मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी.

महाराणा प्रताप से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें..

• महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन भी 80 किलो था और भाला, कवच, ढाल और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो होता था.

• आज भी महाराणा प्रताप कि तलवार, कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है.

• अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधे भारत के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर कि रहेगी.

• हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20,000 सैनिक थे और अकबर कि और से 85000 सैनिक.

• राणाप्रताप के घोड़े (चेतक) का मंदिर भी बना जो आज हल्दीघाटी में आज भी सुरक्षित है.

• महाराणा ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है नमन है ऐसे लोगो को.

• हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां की जमीनो में तलवारे पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 हल्दीघाटी के मैदान में मिला था.

• महाराणा प्रताप अस्त्र शत्र कि शिक्षा जैमल मेड़तिया ने दी थी जो 8000 राजपूतो को लेकर 60,000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48,000 लोग मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40,000 मुग़ल थे.

• राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकतवर था. उसके मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी.

• मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दीघाटी में अकबर कि फौज को अपने तीरों से रोंद डाला था वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उनके साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरह राजपूत है तो दूसरी तरह भील.

• राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीरगति को प्राप्त हुआ। उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वो दरिया पार कर गया। जहा वो घायल हुआ वहा आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है। हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे.

• मरने से पहले महाराणा प्रताप ने खोया हुआ 85% मेवाड़ फिर से जीत लिया था.

• सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमें.

• महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई – 7’5” थी.

• वे दो मियान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में.

• मेवाड़ राजघराने के वारिस को एकलिंग जी भगवान का दीवान माना जाता है।

• छत्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से सम्बन्ध रखते थे, वीर शिवा जी के परदादा उदैपुर महाराणा के छोटे भाई थे.

• अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था कि अगर तुम महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को अपने साथ मिला लो, तो तुम्हे विश्व विजेता बनने से कोई नहीं रोक सकता पर इन दो वीरो ने जीते जी कभी हार नहीं मानी।

• नेपाल का राजपरिवार भी चित्तोड़ से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता है.

• मेवाड़ राजघराना आज भी दुनिया का सबसे प्राचीन राजघराना है उस के बाद जापान का नाम आता है.

• महाराणा प्रताप के पूर्वज राणासांगा ने अकबर के दादा बाबर से खांवा मे युद्ध लडे थे और प्रताप ने अकबर से और महाराणा के बेटे अमर सिँह ने जहाँगीर को संधी के लिये मजबुर किया था और अपने 15 सालो के राज मे पूरा मेवाड़ अपने कब्जे मे ले लिया था.

• राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था.
Source... Whatsapp 

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